शहर से लगा हुआ मेरा
यादो की छांव
छांव में छुपी हुई
अनेक कहनाइयां
वह बचपन के झूले
वह गांव के मेले
वह ट्रैक्टर की सवारी
वह पुरानी बैलगाड़ी
वह पुराना बरगद का पेड़
वह खेत की मेढ़
वह चिड़ियों का चहकना
वह फूलों का महकना
पर धीरे-धीरे गांव
बहुमंजिली इमारत में
तब्दील हो गया
वह कोलाहल और
गाड़ियों के शोर से
लबरेज हो गया
शेष रह गया केवल
गाड़ियों का धुआं
जिसे देख परेशान
हर व्यक्ति हुआ
सूरज अब जमीं के
पास आ गया
मेरे पुराने गांव से मिला दे।
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